Sahara India News Update
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सहारा इंडिया में लगभग देश भर के 12 करोड से ज्यादा निवेशकों के पैसे सारा इंडिया में फंसे हुए हैं। इसे लेकर लोग काफी बार पटना हाई कोर्ट के चक्कर काटे हैं निवेशकों का कहना है हमारा पैसा 5 से 10 वर्ष पहले ही मैच्योरिटी पूरा हो चुका है लेकिन हमारा भुगतान अभी तक नहीं किया गया। ऐसे ना मिलने के कारण हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी सारा के कई स्कीमों में निवेशकों का पैसा निवेश किया गया|
पैसे को ना भुगतान मिलने के कारण हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई करते हुए सहारा ग्रुप कंपनी के संस्थापक सहारा श्री सुब्रत राय को हाजिर होने का आदेश दिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताया गया कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय व्यक्तिगत तौर पर पेश होने को कहा गया इसके बावजूद पटना हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है अपने अधिकार में रहकर उच्च न्यायालय अपने अधिकार सीमा की उल्लंघन किया है इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय उस मामले में आरोपी नहीं थे जो पटना उच्च न्यायालय में समझ था। ईश्वर निवेशकों का कहना है हमारा भुगतान जल्द से जल्द वापस किया जाए।
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सहारा में फंसे हुए पैसे को लेकर न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी पी पार्टी वाला पीठ ने कहा कि क्या गलत चलन है जो बढ़ रहा है इसमें बताया गया कि जमानत के लिए दायर याचिका में जांच की जाए जमानत की विचार पर यह अप्रासंगिक है समाज के लिए कैसे प्रासंगिक हो सकता है या तो आप जमानत को खारिज करें या फिर मंजूर कर दे।
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इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दिया था निवेशकों को पैसा वापस नहीं मिलने के कारण महानिदेशक को आदेश दिया गया और यह बोला गया था कि सहाराश्री को अदालत के समक्ष निजी तौर पर उपस्थित होने को कहा जाए पीठ ने सुनवाई के दौरान सारा उच्च न्यायालय को अन्य मुकदमे में आदेश पारित करना चाहिए दंड प्रक्रिया के तहत अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करना चाहिए।
गिरफ्तारी से बचने के लिए जमानत निर्देश से संबंधित है न्यायमूर्ति एएम खानविलकर ने कहा अपने 22 साल के अनुभव में मैंने ऐसी चीज सीखी है आपके अधिकार क्षेत्र से बाहर है इस पर पीठ कहा हम या नहीं कह रहे हैं कि उच्च न्यायालय ऐसा नहीं कर सकता या अदालत कर सकता है लेकिन अधिकार के तहत।
सहारा का पैसा वापस
सहारा में निवेश की है पैसों को लेकर बिहार में भी सुनवाई चल रही थी और यहां के वकील ने बताया कि उच्च न्यायालय में सहाराश्री को अभियुक्त नहीं बनाया गया है उन्हें योजना पेश करने को कहा गया था आखिरकार निवेशकों का पैसा कैसे लौटेगा उनका भुगतान कैसे हो पाएगा इस पर पीठ ने कहा हम केवल यह कह सकते हैं कि न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय मैं अग्रिम जमानत का अनुरोध किया था और अदालत केवल इस मामले पर विचार करना चाहिए था जमात मंजूर करने के लिए कोई प्रथम दृश्यता मामला बनता है या नहीं।
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया कि यदि इस तरह का आदेश अदालत की ओर से दिया जाता है तो उच्च न्यायालय न्यायाधीश को आड़े हाथों लेते और यहां तक कि उसे न्यायिक अकादमी में जाने की सलाह भी देता सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई बस स्थगित कर दी है।